मैं कोई पत्थर नहीं हूं कि तेरी ठोकरों में रहूं उम्र भर, खुदा ने जब बनाया था मुझको एक दिल भी तो किया था नज़र। ठोकर लगी पत्थर दिल से बिखरा दिल टूटके शीशे की तरह, कहां हंसकर तब उसनेे मुझसे लगता इंसां तू बुजदिल की तरह। चल संभल के राहों में बंदा मिट जाएगा…
Author: Jyotsna
कोख की व्यथा
14 फरवरी 2019 घाटी में हुई ह्रदय विदारक आत्मघाती हमले में शहीद हुए जवानों को मेरी अश्रुपूरित आंखों से श्रद्धांजलि स्वरूप यह रचना… पुनः शहीदों के रक्त से लाल हुई भारत मां की कोख की व्यथा लिखूं, या देश पर शहीद होने वाले जवानों की वीरता की गाथा लिखूं। भाई के शव पर बिलखती बहन…
भीष्म
आकर्षक व्यक्तित्व के थे धनीवीरों के वीर थे वह शूरवीर,धवल हिम सा सरल हृदयश्वेत वस्त्र में झलकता था धीर । ज्ञानियों के ज्ञानी थे महा ज्ञानीविवेक, बुद्धि से व्यक्तित्व था भरपूर,पिता के लिए था अत्यंत श्रद्धा हृदय मेंजो बनाती थी उनको मानव में सुर । जन्म लिया मां गंगा की कोख सेसीखी धनुर्विद्या गुरु परशुराम…
धरती का क्रंदन
आज फिर कांप उठी धरती देख वह हृदय विदारक दृश्य, अबोध बालिका शिकार हुई हाथ, नर पिशाच,निरा अस्पृश्य। सुन बालिका का भीषण चित्कार हवाएं भी हो गई थी विह्वल, कांप उठी थी चारों दिशाएं सुन चित्कार, वह हुई विकल। एक दस्यु बलशाली के हाथों लाचार थी एक अबोध निर्बल। प्यार भरी मीठी बोली से उसने…
कृष्णा भक्तिन राधा
रंगी मैं तो श्याम रंग में दूजा रंग कोई न चढ़ पाए रे , ये रंग ऐसा चटख रंग है सब रंग फीका पड़ जाए रे । सुन तेरी मुरलिया की धुन सुध-बुध मैं बिसारी रे , नित-नित यमुना तट पर काहे श्याम बंसी बजाए रे । मैं तो तेरी प्रेम पुजारिन फिर काहे मोहे…
मौन स्वीकृति
भरी सभा में जब द्रौपदी का हुआ था चीर- हरण बिलखती द्रौपदी को, दी न किसी ने न्याय की शरण । अंधे राजा की सभा में छाया था सम्पूर्ण अंधकार साहस नहीं था किसी में कर सके अन्याय का प्रतिकार । केवल बोले विदुर जी महाराज त्यागिए पुत्र को आज होगी बड़ी कृपा सब पर…
लौह रूपिणी
सोमवार को लांस नायक संदीप सिंह कश्मीर में मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए। उसने तीन आतंकवादियों को मार गिराया। उनके 5 साल के बेटे ने पार्थिव शरीर को सेल्यूट किया। उनकी मां कुलविंदर कौर ने बेटे के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। मेरी रचना समस्त जवानों को, मां एवं देशवासियों को समर्पित है……..एवं श्रृद्धांजलि…….!!…
मीत ना मिला मन का
कभी मिले थे हम,तुम किसी मोड़ पर, हुई थी प्यार की बरसातें, पकड़ कर एक दूजे का हाथ दोनों बहुत दूर तक चले थे। थी आंखों में प्यार की खुमारी, एक नशा सा छाया हुआ था दोनों के दिलों पर। मंजूर नहीं था दोनों को एक-दूजे से, क्षण भर के लिए भी, होना बेखबर। दो…